Friday 30 April 2010

श्री राम स्वरुप

जगत प्रिय, राम भक्तों, जय श्री सीताराम। राम स्वरुप तो भारत और पूरे विश्व की एक ऐसी अनमोल धरोहर है, जिसका पूरा मूल्य आंकना और जिसका पूरी तरह वर्णन करना असंभव ही है। गोस्वामी तुलसीदास जी भी अमृत सी वाणी में ये कह गए हैं

"हरी अनंत हरी कथा अनंता |
कहहि सुनहिं बहु बिधि सब संता ||"


परन्तु फिर भी करुनामई श्री रामचन्द्र अपने सेवकों, भक्तों, और दासों पर अनेकानेक तरह से और अनेकों बार कृपा करके अपने अनंत चरित्र की झांकिओं को उनके द्वारा या उनकी रचनाओं के द्वारा जगत में प्रतिबिंबित करते रहते हैं। ऐसी ही एक झांकी मैंने भी अनुभव की और उसे उन्ही कि कृपा से काव्य-बद्ध किया, रामचंद्र जी के अनंतानंत चरित्र को बतलाते हुए मैंने इस कविता में राम जी को मंदिर के विग्रहों और सदियों पुरानी धार्मिक परम्पराओं से कुछ परे बताने का प्रयास किया है। मेरा ध्येय किसी कि भावनाओं को आहत करने का नहीं है, अपितु ये विनम्र सन्देश देने का है कि श्री राम जी की पूजा को, प्रथाओं और बन्धनों से परे जानते हुए मुक्ति और बन्धनों से मुक्त होने का मार्ग जानें।


-जय जय श्री रघुकुलनायक श्री रामचंद्र-
-
जय जय श्री रामभक्त हनुमान-

-दास-


श्री राम स्वरुप

राम राम जय राम राम
राम राम जय राम राम

राम नाम जीवन का सार |
राम राम जय राम राम ||

सिया प्रिय है राम राम |
बजरंग स्वामी राम राम ||

भरताग्रज है राम राम |
दशरथ कौशल्या के बाल ||

रा राम जय राम राम
राम राम जय राम राम

जिनकी कीरति चारो धाम |
जीवन जिनका था निष्काम ||

मर्यादा है राम राम |
पुरुषोत्तम है राम राम ||

प्रत्यन्चा धनु की है राम |
धरा शोक नाशक है राम ||

रा राम जय राम राम
राम राम जय राम राम

समझो इनको ये नहीं, कर्मकाण्ड और अंधविश्वास |
ये तो हैं वो सत्य रूप, करुण भाव और क्षमा स्वरुप ||

राम नहीं बसते हैं मंदिर की सुन्दर मूरत में प्यारे |
राम तो हैं बूढी शबरी के झूठें बेरों को खाने वाले ||

सेवक, प्रजा प्रिय हैं राम राम |
वीर धर्म रक्षक हैं राम ||

रा राम जय राम राम
राम राम जय राम राम

राम नहीं पाओगे माला जप जप कर महलों में तुम |
लेकिन राम स्वयं आवेंगे जो मानव बन जाओगे तुम ||

राम राम वन विचरक |
राम दशानन काल राम ||

राम राम शिव भक्त राम |
सीय पति श्री राम राम ||


रा राम जय राम राम
राम राम जय राम राम

हनुमत स्वामी राम राम |
सत गुण विष्णु अंश राम ||

रा राम जय राम राम
मेरे प्रेरक राम राम

|| सीताराम ||

Monday 26 April 2010

राम नाम महात्मय

प्रिय राम भक्तों, सीताराम। किसी ने ठीक ही कहा है, "राम ते बड़ा राम कर नामा"। अनुभवी इस बात से भली भांति परिचित होंगे कि राम नाम में एक ऐसी अचूक शक्ति है जो इस संसार के क्या, परलोकों के संकट काटने में सक्षम है। तुलसीदास जी मानस में ही जन मानस को सूक्ष्म अपितु सटीक सन्देश दे गए है,

"सकल सुमंगल दायक रघुनायक गुण गान
सादर सुनहिं तें तरही भव सिंधु बिना जल जान।।"

श्री राम से बड़ा कृपालु तो संसार में कोई नही, उन्ही कृपालु की करुना-लीला का पात्र बन मैंने हालही में राम नाम महात्मय को अनुभव किया, गत एक माह की अवधि में मेरे समक्ष कुछ ऐसे अवसर आय जब कि मुझे लगा की मैं उस कठिनाई का समाधान करने में सक्षम हूँ, पर न जाने क्यूँ मैं हार रहा था। पर तब रामबाण के समान रामनाम का स्मरण करते ही मैंने ये अनुभव किया की स्थितियां कुछ परिवर्तित हो रही है, जहा मुझे कुछ उपाय नही सूझ रहा था, वहीं मैं कुशलता दर्शाने लगा, मेरी असमर्थता, समर्थता में बदल गई, और मैं सफल रहा। राम नाम जपते ही मेरे मन में एक विश्वास जाग गया की अब तो कोई परेशानी हो ही नही सकती और सच में परेशानियां रही भी नहीं। एक उदाहरण के तौर पर, आप सभी को एक वास्तविक घटना बताता हूँ, एक माह पहले मेरी भौतिक विज्ञान की प्रयोगात्मक परीक्षा थी, परीक्षा के पहले ही मैंने सभी प्रयोगों की अच्छी कसरत कर ली थी और परीक्षा में भी वही प्रष्न आया जिसकी मुझे दूसरों से अधिक कसरत थी, परन्तु फिर भी परीक्षा कक्ष में मैंने अपना नियंत्रण खो दिया और नतीजन समय बीत रहा था पर मैं कुछ भी नही कर पा रहा था, काफी देर तक असफल प्रयास करने के बाद मैं कुछ देर रुका। सोचा की क्या करू, आँखें बंद करी, गहरी सांस ली और मन में ही राम नाम का जाप किया। आँखें खोली तो लगा की आत्मविश्वास में कुछ वृद्धि हुई है। फिर जब पुन्नः प्रयास किया तो प्रसन्न हो गया। उसके बाद का प्रयोग मैंने सफलता से किया और मुझे उस परीक्षा में अच्छे अंको की आशा भी है। उसके बाद की अधिकतर परीक्षाओं में मैंने अपने प्रष्न पत्र पर || श्री राम || लिखा और मेरी अधिकतर परीक्षाएँ अच्छी हुई। इसी अनुभव को मूल बना कर मैंने प्रभु कृपा से इस कविता की रचना की जिसका शीर्षक "राम नाम" है।

-जय जय सियापति श्री रामचंद्र-
-जय जय श्री राम भक्त श्री हनुमान-

-दास-

राम नाम

उल्टा जप लेओ, सीधा जप लेओ राम नाम फिर भी फल दायक |
उल्टा जपते जपते जिसको डाकू बन गए सब बिधि लायक ||

कोऊ जाने कुल, जाति को जाने, कोऊ जाने कीन्ह जाए |
रामबोला भये तुलसी बाबा सब जग जाने जाए ||

धर्म (भरत) स्वयं जो नाम जपत है, दशरथ जपै जो नाम |
ओ नाम जपत ही सब बन्धुन के बन जाए सब काम ||

दुई वर्णन के राम नाम में दूँडो तो सृष्टि मिलि जाए |
महिमा ऐसी राम नाम कि पाथर में नारी दिखलाए ||

राम नाम तो पवन ऐसा पाथर के बंधन मिट जाए |
राम नाम की शक्ति ऐसी वन अशोक की लाज बचाए ||

राम नाम सुन्दर है ऐसा शंकर भी भव में अकुलाए |
हनुमत जिनके दास परम है नाम वहीं अमृत कहलाए ||

है आधा जो नाम सीय बिन, महिमा उसकी कही न जाए |
दास नवावै सीस चरण में "सीताराम" कहत वो जाए ||

|| सीताराम ||


Sunday 18 April 2010

अहिमर्दन पातालपुरी श्री हनुमान जी महाराज

आप सभी राम भक्तों को दास का सीताराम। हालही में मुझे परम कृपालु श्री हनुमान जी की कृपा से उन्ही का एक विग्रह देखने को मिला, जिसे अद्भुत कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। यह विग्रह "लेटे हुए हनुमान जी" के नाम से विख्यात है। इस विग्रह कि शोभा और सौन्दर्य, वर्णन और शब्धों से परे है, इसमें हनुमान जी महाराज लेटी हुई मुद्रा में हैं और उनके दोनो ओर राम और लक्ष्मण विराजे हैं। लेटे हुए हनुमान जी की कृपा भारत के कई स्थानों पर है, किन्तु लखनऊ में इस विग्रह के मंदिर का पुनरुद्धार और प्रचार थोड़े समय पहले ही हनुमत प्रेरणा से हो पाया है। इस मंदिर के पुनरुद्धार और संरक्षण का समस्त श्रेय श्री सुनील गोम्बर जी, उनके परिवार और जे.बी. चैरीटेबल ट्रस्ट से निरंतर संपर्क रत हनुमत भक्तों को जाता है। यह मंदिर "अहिमर्दन पातालपुरी श्री हनुमान जी महाराज" के नाम से विख्यात है और "अहिमर्दन पातालपुरी हनुमान जी सेवा ट्रस्ट लखनऊ (पंजी.)" के द्वारा संचालित होते हुए लखनऊ में स्थित डालीगंज पक्के पुल से कुछ दूरी पर स्थापित है, और यहाँ प्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी महाराज का श्रृंगार उन्ही के किसी भक्त के हातों से कराया जाता है। इस मंगलकारी मंगलमय हनुमान मंदिर के बारे में विस्तार से जानकारी www.patalpurihanumanji.com पर उपलब्ध है। इसे मैं श्री वज्रांग देव हनुमान जी की मुझ दास पर असीम कृपा ही कहूँगा कि मुझे "अहिमर्दन पातालपुरी हनुमान जी मंदिर" में अप्रैल को हुए हनुमान जयंती उत्सव में जाने का निमंत्रण उन्ही के कृपा पात्र श्री सुनील गोम्बर जी से प्राप्त हुआ और मैं उस उनमोल अवसर का लाभ उठा पाया। उस उत्सव के कुछ द्रश्य मैं यहाँ पर उपलब्ध करा रहा हूँ। सभी बक्तों से दास का अनुरोध है की मंदिर जावें और हनुमान जी के दर्शन कर अपने जीवन को धन्य करें।

||मंदिर का मुख्य द्वार ||





















|| मंदिर की सीढियां ||






















|| राम और लखन जी सहित अहिमर्दन पातालपुरी श्री हनुमान जी महाराज ||





















|| श्री सुनील गोम्बर द्वारा भक्तों को प्रसाद वितरण||





















|| भजन संध्या ||





















|| जय जय श्री सीताराम ||
|| जय जय श्री अहिमर्दन पातालपुरी हनुमान जी ||

-दास-